Sunday 19 August 2012

दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।

! कर लो कुबूल मेरा भी सलाम ईद का !!

कर लो कुबूल मेरा भी सलाम ईद का
दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।

इस ईद के मिलन पे मुझको यहाँ बुलाया
अपना समझ के आपने मुझको गले लगाया
पाकर ये भाईचारा मुझको लगा यूँ जैसे-
आँधियों में आपने दीपक हो एक जलाया

टूटे को जोड़ना है हसीं काम ईद का
दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।

हुजुर सल्लाहू अले ही वसल्लम
कहते हैं बांटो खुशियाँ औरों का लेके गम
रमजान का महीना ये याद दिलाता है-
इस्लामे-हर सिपाही का ईमान और करम

अश्क लेके ख़ुशी देना हसीं काम ईद का
दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।

मत भूलना हजरत उमर फारुख के उसूल
याद करके साहबा उस्मान के रसूल
हजरत मोहम्मद मुस्तफा करते थे जिसतरह-
एक बार माफ़ करके देखो हर किसी कि भूल

शिकवे-गिले भुलाना सब के काम ईद का
दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।

जरूरत है आज मुल्क को भी ऐसे प्यार की
उजड़े चमन को आज जरूरत बहार की
औरों की गलतियों को देखने से पेशतर
खुद में भी जरूरत है पहले खुद प्यार की

सरजमीं को होगा यह ईनाम ईद का
दो मादरे-वतन को तुम पयाम ईद का ।




(श्याम गौड़ , जिला संयोजक भाजपा कोटा देहात )
(संग्रह फसबुक से )

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